सोमवार, 27 मई 2024

करें न अति विश्वास भी [ सजल ]

 244/2024

       

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


समांत    : ऊल

पदांत     : अपदांत

मात्राभार  : 24

मात्रा पतन :शून्य।


कच्छप  खरहा   दौड़  है,उर में खिलते   फूल।

समय उन्हें परिणाम दे,किसके वह अनुकूल।।


खरहा   दौड़ा  तेज  ही, हाँफ  गया वह  शीघ्र।

सोया  तरुवर  छाँव  में,  शर्त  गया वह  भूल।।


कच्छप यों चलता  रहा, रुके  बिना अविराम।

लक्ष्य  पार  उसने  किया,सोया शशक बबूल।।


करें  न  अति  विश्वास भी,अपने ऊपर  मित्र।

कर्म  शिथिल  होना  नहीं, चुभें न पैने   शूल।।


आदि  मध्य शुभ अंत का,करें संतुलन ठीक।

उचित नहीं अति से भरी,मन की तेरी   हूल।।


राजनीति  या देश  हो, या समाज का   धर्म।

नीति नियम तजना नहीं,रहकर ऊल जलूल।।


'शुभम्' चला  चल  पंथ  में,  करे नहीं  विश्राम।

विजय  सदा ही   हाथ  हो, चमके  केतु  समूल।।


शुभमस्तु !


27.05.2024●4.00आ०मा०

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