शनिवार, 4 मई 2024

किसी भी कीमत पर [ नवगीत ]

 203/2024

     


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


होना ही है

हमको महान

किसी  भी  कीमत पर।


आलू - आलू

सोना बनकर

सुख - समृद्धि लाएगा।

बिना बहे ही

स्वेद बिंदु कण

मानव   सरसायेगा।।


मौज करेंगे

ठाले जन

बने ही मिलेंगे  घर।


तालाबों से

गूँज रही  है

टर-टर-टर दिन रात।

हमको  सुनना

नहीं किसी की

बाँटेंगे        खैरात।।


तिलक छाप सँग

गलमाला भी

धोतीधारी  चला उधर।


माल इधर का

उधर करेंगे

नहीं जेब से  देना।

सभी पड़ौसी

मित्र हमारे

नहीं  रहेगी  सेना।।


हमें चाहिए

कुर्सी ऊँची

छिड़ी हुई है टर -टर।


शुभमस्तु !


04.05.2024●8.45आ०मा०

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