रविवार, 5 मई 2024

भाषा लाल मिर्च है जिनकी [नवगीत ]

 205/2024

     

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


भाषा लाल 

मिर्च है जिनकी

सुनकर झन्ना जाते कान।


कुंठा चीख 

रही मंचों से

नारी   का  ये  कैसा  मान?

गर्ल फ्रेंड

विधवा कह देते

करना क्या इनको मतदान??


जहाँ नारियाँ

पूजी जातीं

ऐसा अपना देश महान।


हार - जीत सब

अलग बात है

जीभ लभेड़ा क्यों खाए?

खिसियाहट ये

क्या कहती है

बार-बार यों उलझाए।।


सौंप रहे हो

बागडोर क्यों

क्यों ऐसों को बना महान?


जूती समझ 

रहे पाँवों की

नारी  को  जो नेता आज।

रख दोगे क्या

उनके सिर पर

भारत माता का नव ताज।।


चमके 'सुचरित'

'माननीय' के 

सुन लेना सब देकर ध्यान।


शुभमस्तु !


04.05.2024●5.45प०मा०

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