रविवार, 5 मई 2024

किसके भक्त आज के नेता [ नवगीत ]

 204/2024

    

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


जनता सब कुछ

समझ गई है

किसके भक्त आज के नेता।


अब गलियों में

नहीं जरूरी

कोई  हाथ  जोड़ने  जाए।

मुखचोली धर

रंग - बिरंगी

आँखों-आँखों में शरमाए।।


माननीय के 

साथ मंच से

दोनों हाथ जोड़ वह देता।


कवि कहता है

शरमाना क्या 

पाँच साल ही तो बीते हैं।

जो पहले थे

भूखे याचक

उनके घड़े  अभी रीते हैं।।


समय कहाँ है

बेचारों को 

अब तक धन के अंडे सेता।


सुविधाओं की

त्रिपथगा से 

धन्य -धन्य जन को कर देंगे।

दुखी न होगा

भूखा कोई 

बातों से ही  दुख हर लेंगे।।


मतमंगे से

कहता जनगण

तुम्हें बनाएँगे  हम  जेता?


शुभमस्तु !


04.05.2024●3.30प०मा०

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