गुरुवार, 23 मई 2024

सबके मुरली वाले हैं [ सजल ]

 230/2024

            

सामांत    :आले

पदांत      : हैं

मात्राभार  : 14.

मात्रा पतन :शून्य।


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


लगें      रंग    के      काले     हैं।

सबके    मुरली      वाले      हैं।।


मातु     देवकी     जननी     के।

नटखट     पुत्र     निराले     हैं।।


कारागृह   में      जन्म     हुआ।

लगे  जहाँ    पर    ताले      हैं।।


चलें  सखाओं के सँग दिन भर।

पड़ें  न    पग     में   छाले    हैं।।


नाग    नथैया     गिरिवर  धारी।

लगते       भोले -  भाले      हैं।।


लूट  -  लूट   दधि माखन खाते।

माँ      यशुदा    ने    पाले    हैं।।


वन -  वन जाते  गौचारण  को।

विपदाओं      ने      ढाले      हैं।।


'शुभम्' श्याम राधा  के प्रिय वर।

कंस    आदि   के     लाले    हैं।।


शुभमस्तु !


20.05.2024●2.15प०मा०

                    ●●●

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...