210/2024
समांत : इयाँ
पदांत : अपदांत।
मात्राभार : 26
मात्रा पतन : शून्य।
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
क्यों मदों में चूर हैं ये आज की नव गोरियाँ।
समझतीं नर को नहीं हंकार में भर छोरियाँ।।
रूप का अभिमान इतना अप्सरा भी मात है।
चढ़ रही हैं आज उनके भाल पर क्यों त्यौरियाँ।।
चार अक्षर पढ़ लिए तो शारदा अवतार बन।
मारती हैं कवि पुरुष को शब्द की शत गोलियां।।
छू न जाए सभ्यता का एक पल्लू देह से।
मारती हैं व्यंग्य की मीठी दुधारी बोलियाँ।।
भेदभावों की खड़ी दीवार उर के बीच में।
भर रही हैं माँग में किस नाम की वे रोलियाँ!!
नाम विमला शांति कमला रख लिए सुंदर बड़े।
परुषता मन में भरी है कर रही बरजोरियाँ।।
'शुभम्' नारी योनि का देखा बहुत अपमान ये।
नारियाँ ही कर रही हैं नारियों की खोरियाँ।।
शुभमस्तु !
06.05.2024●8.45आ०मा०
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