विधान:१.चार चरण।
२.दो चरण सम तुकांत।
३.लघु गुरु की १६आवृत्ति।
४. १२ पर यति।
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✍️ शब्दकार ©
🏕️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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सरोज नाम क्यों रखा,न स्वाद पंक का चखा
न नाम ही कुनाम हो,प्रपंच क्यों पसारिये।
सुभाषिणी सितार है,सुगंध का विचार है,
सितार को प्रणाम हो,प्रभात में सितारिये।।
सुधारना स्वदेश को, विचारना न वेश को,
सु-काज की ध्वजा चढ़े,प्रकाश को निहारिये।
जिंदादिली न पाप है,सुधार शून्य शाप है,
न तेजवान चाम हो,नहीं ,नहीं न हारिये।।
🪴 शुभमस्तु !
१३.०४.२०२१◆८.००पतनम मार्तण्डस्य।
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