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✍️ शब्दकार ©
🪴 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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कोई तो इसको समझाओ।
अपने घर को वापस जाओ।।
चीन देश से आ जग छाया।
तांडव भीषण नित्य मचाया।।
जाए फ़िर से चीन बताओ।
कोई तो इसको समझाओ।।
पैर न हाथ नहीं मुख काना।
करता बुरे काम नित नाना।।
रहो वुहान वहीं जा खाओ।
कोई तो इसको समझाओ।।
रूप बदलकर आ जाता है।
छलिया छ्द्म वेश पाता है।।
कहें इसे अब मत इतराओ।
कोई तो इसको समझाओ।।
अवसरवादी हमें डराता।
आदत से क्यों बाज न आता!
कोरोना झट चीन सिधाओ।
कोई तो इसको समझाओ।।
इच्छा शक्ति बढ़ाएँ क्षमता।
मानव को हितकारी शुभता।।
अपने को कमतर मत पाओ।
कोई तो इसको समझाओ।।
🪴 शुभमस्तु !
१९.०४.२०२१◆११.१५आरोहणम मार्तण्डस्य।
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