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✍️ शब्दकार©
🤓 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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जिस धरती पर मैं जाता हूँ।
कोरोना को मैं लाता हूँ।।
मैं चुनाव हूँ मुझको जानें।
मेरी भी ताकत पहचानें।।
नियम न कोई अपनाता हूँ।
कोरोना को मैं लाता हूँ।।
यदि हो मुख पर नहीं मुसीका।
बाल न बाँका हुआ किसी का।।
सेनेटाइजर हटवाता हूँ।
कोरोना को मैं लाता हूँ।।
नियम न कोई अब दूरी का।
रोना भी क्या मजबूरी का!!
नेताजी से मिलवाता हूँ।
कोरोना को मैं लाता हूँ।।
रैली करो गले लग जाओ।
लिपट-झपट वोटर समझाओ
बोतल ,मुर्गा बँटवाता हूँ।
कोरोना को मैं लाता हूँ।।
विद्यालय , मेलों में रहता।
सड़क दुकानों में जो बहता।।
उस विषाणु को पिटवाता हूँ।
कोरोना को मैं लाता हूँ।।
रोड- प्रदर्शन ? रोक न कोई।
ट्रैक्टर, बड़ी रैलियाँ बोई।।
भीड़ इकट्ठी करवाता हूँ।
कोरोना को मैं लाता हूँ।।
🪴 शुभमस्तु !
०६.०४.२०२१◆४.००पतनम मार्तण्डस्य।
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