शुक्रवार, 30 अप्रैल 2021

मैं लाल गगरिया पानी की 🏮 [ बालगीत ]


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✍️ शब्दकार ©

🍎 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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मैं  लाल  गगरिया  पानी  की।

माटी  से   बनी  कहानी भी।।


जिस कुम्भकार  ने मुझे गढ़ा।

नव स्वेद कणों का पाठ पढ़ा।

समझा क्या  कोई  मानी भी?

मैं लाल  गगरिया  पानी की।।


खोदी   भू  से  कूटी   माटी।

था खेत  सरोवर  की  घाटी।

गाढ़ा, माढ़ा  औ' छानी  भी।

मैं लाल गगरिया  पानी की।।


वह चाक चलाया तेज -तेज।

मैं गई   सहेजी   धूप   भेज।।

मैं तपी  अवा  मस्तानी - सी।

मैं लाल गगरिया  पानी की।।


मैं  बीच   आग   से आई   हूँ।

तपकर  ही  लाल   बनाई  हूँ।

प्रिय  हूँ  मैं नाना - नानी की।

मैं  लाल गगरिया  पानी की।।


जब तक  शीतल जल देती हूँ।

सम्मान  'शुभम'  का  लेती हूँ।

खोकर गुण हुई  बिरानी - सी।

मैं लाल गगरिया  पानी  की।।


🪴 शुभमस्तु !


३०.०४.२०२१◆२.४५पतनम मार्तण्डस्य।

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