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✍️ शब्दकार ©
🛕 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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-1-
राम का नाम ही तो महा मंत्र है,
नाम जपने को मन में स्वतः तंत्र है,
राम को नित उठ नमन हम करें,
राम ही शुभ चलाते तन तंत्र हैं।
-2-
राम आए धरा धन्य ये हो गई,
राम के पद - परस से पुण्यता मई,
राम का नाम 'शुभम' नित्य जपता रहे,
राम के नाम में नित नव्यता नई।
-3-
चैत्र नवमी को अवतरित हुए राम हैं,
राम से भी बड़ा क्या कोई नाम है?
नाम उलटा जपा ब्रह्म-सा कवि हुआ,
राम का नाम 'शुभम' अविराम है ।
-4-
अपने उर की अयोध्या में बसा राम को,
कुछ घड़ी तो अलग त्याग दे काम को,
बिंदु त्रिकुटी में प्रभु की छवि को निरख,
राम जप ले 'शुभम' तू सुबह शाम को।
-5-
राम कारण जगत के वही कार्य हैं,
संसृति के लिए राम अनिवार्य हैं,
राम को भूलता वह मनुज ही नहीं,
मर्यादा पुरुष राम औदार्य हैं।
-6-
राम ही भाव्य हैं,
राम ही काव्य हैं,
शब्द, अक्षर, छंदों के सागर प्रभू,
युग श्रवण में 'शुभम'राम ही श्राव्य हैं।
-7-
जो रमता जगत में वही राम है,
राम का नाम ही शुभ महत नाम है,
राम की दृष्टि से सृष्टि - सिंचन सदा,
राम सत नाम हैं राम अभिराम हैं।
🪴 शुभमस्तु !
२१.०४.२०२१◆७.१५ आरोहणम मार्तण्डस्य।
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