मंगलवार, 27 अप्रैल 2021

जय !जय!!श्री हनुमान 🌷 [ दोहा ,चौपाई ]


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✍️ शब्दकार ©

🌷 डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'

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★ दोहा ★

चैत्र मास की पूर्णिमा,दिन शुभ मंगलवार।

महावीर  हनुमंत का ,हुआ रुद्र  अवतार।।


माता  हैं  माँ  अंजना,पिता केसरी  नाम।

ग्यारहवें अवतार हैं,प्रभुवर जिनके राम।।


  ★ चौपाई  ★

वज्र   समान   देह बलशाली।

महिमा  अंजनि पुत्र निराली।।

अंतिम  चरण  लगा त्रेता का।

था नक्षत्र भी शुभ चित्रा का।।


पवन- पुत्र  हनुमत कहलाते।

सुघर  पालने   वही  झुलाते।।

वानर- मुख  तन धरे लँगोटी।

स्वर्ण मुकुट ऊपर सिर चोटी।


गदा  अस्त्र निज हनुमत धारे।

लंबी  दुम से   असुर  सँहारे।।

स्वर्णाभूषण   चमक  रहे  हैं।

सुघर जनेऊ लटक  कहे हैं।।


अमर वीर  बजरंगबली तुम।

शीश झुकाते हैं प्रभु से हम।।

सीता   माँ  के  राज  दुलारे।

श्रीराम  के   भक्त   निनारे।।

          

★ दोहा★

भक्ति ज्ञान जय शक्ति के,प्रभुवर श्रीहनुमान।

शत-शत करते नमन हम, चिरंजीव भगवान।


  ★चौपाई★

भक्तों   के   रक्षक  हनुमन्ता।

सदा प्रणत युग चरण सुसंता।

करते  नित   विध्वंश   बुराई।

कविजन ने तव महिमा गाई।


लखन   प्राणरक्षक   हनुमाना।

बिना पंख  उड़ते  हम जाना।।

लाए   वे     संजीवनि   बूटी।

जुड़ी  राम की  आशा  टूटी।।


सीता  माँ    सिंदूर   लगातीं।

बढ़े  आयु पति  की हर्षातीं।।

प्रभु हनुमत ने जब ये जाना।

मन में अतिशय हर्ष समाना।।


निज तन पर  सिंदूर लगाया।

रामभक्त   हनुमत   हर्षाया।।

हनुमत जैसा भक्त  न  कोई।

धरती पर प्रभु कीरति बोई।।


 ★ दोहा★

नाथ कृपा जन पर करो,कृपासिंधु हनुमान।

महिमा अंजनिपुत्र की,जाने सकल जहान।।


     ★चौपाई★

आंजनेय  राक्षस - विध्वंशक।

माया छल के पूर्ण विभंजक।।

हे    परविद्या    के    परहारी!

शत्रु - शौर्य नित नाशनकारी।।


पल-पल राम नाम को जपते।

दुश्मन महावीर लख  कँपते।।

ग्रह -प्रभाव का  करते नासा।

तन-मन के दुख हरते हासा।।


कहाँ नहीं प्रभु वास तुम्हारा।

पारिजात आवास  निहारा।।

हे कपीश!  मंत्रों  के स्वामी!

महाकाय अघ,रोग विरामी।।


सब  यंत्रों   में   वास  कपीश्वर।

प्रभव तेज बल बुद्धि सिद्धिकर।।

सीता -  शोक  निवारक वानर।

उदित अर्क  का  तेज बदन पर।।


महातपस्वी        लंक   निहन्ता।

पंचानन     तुम    धीर  अनंता।।

सुरपूजित प्रभु दैत्यकुलान्तक।

कामरूप,    वागीश ,  महातप।।


    ★दोहा★

नव्याकृत पंडित सुचय,दृढ़व्रत हँसमुख शांत

रुद्रवीर्य अवतार को,नमन सहस्र सुकांत।।

पदसेवी   श्रीराम   के, माँ  सीता  के  नेह।

धरती पर नित 'शुभं' प्रभु,रहें कृपानिधि मेह।


*प्रभव=सबसे प्रिय।

*नव्याकृत पंडित=सभी विद्वानों में निपुण।

*सुचय=पवित्र।


🪴 शुभमस्तु !


२७.०४.२०२१◆१०.३०आरोहणम मार्तण्डस्य।

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