विधान:१.चार चरण।
२.दो चरण सम तुकांत।
३.लघु गुरु की १६आवृत्ति।
४. १२ पर यति।
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✍️ शब्दकार ©
🏕️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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अखंड देश के लिए,जला शुभं सदा दिये,
पुकारती सु-भारती, विकास देश का करो।
न जाति रंग भेद हो,न हो घृणा न छेद हो,
सँवारिए सुधारिए , सुगंध ही सदा धरो।।
सु- पूजनीय जो सदा, सु आदरेय संपदा,
नहीं न मान तोड़ना, सनेह मान से भरो।
महान काम -काज हों,प्रकाशवान साज हों,
न नेह पाथ छोड़ना,सु-वेद पंथ ही वरो।।
🪴 शुभमस्तु !
१४.०४.२०२१◆१०.४५पतनम मार्तण्डस्य।
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