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✍️ शब्दकार ©
🪴 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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लाल - लाल तरबूजा आया ।
मैंने जी भर कर वह खाया।।
गर्मी का मधु फल तरबूजा।
मीठा ऐसा ज्यों तर कूजा।।
माता और पिता को भाया।
लाल - लाल तरबूजा आया।।
तपन धूप गर्मी की हरता।
तृप्ति प्यास की भी है करता।
जिसने देखा मन ललचाया।
लाल - लाल तरबूजा आया।।
लू - लपटों से हमें बचाता।
भोजन को भी शीघ्र पचाता।।
मोटापा भी सदा घटाया।
लाल - लाल तरबूजा आया।।
रोग पोलियो यदि हो जाता।
बालक का वह रक्त बढ़ाता।।
त्वचा रोग में लाभ कराया।
लाल - लाल तरबूजा आया।।
जलन मूत्र की सदा घटाता।
खाँसी में अति लाभ कराता।।
ए, बी,सी, का स्रोत बताया।
लाल - लाल तरबूजा आया।।
🪴 शुभमस्तु !
१२.०४.२०२१◆१.००पतनम मार्तण्डस्य।
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