सोमवार, 19 अप्रैल 2021

दुःखों में भगवान 🔔 [ गीत ]


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✍️ शब्दकार ©

🪴 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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दुःखों  में  भगवान   याद तुमको  आते   हैं।

करें नित्य प्रभुभक्ति तुम्हें हम समझाते   हैं।।


सुख में  भूला मनुज आज वह  इतराता है।

अपनी  करनी नहीं देखता बल   खाता  है।।

अहंकार में  फूल  लोग उड़ - उड़ जाते   हैं।

दुःखों  में भगवान  याद तुमको  आते   हैं।।


जिसने  भूला  राम  काम ही उसको   भाता।

रँगता अपना   वेश केश भी खूब   बढ़ाता।।

आडंबर की  भक्ति   मनुज ये दिखलाते   हैं।

दुःखों   में  भगवान याद तुमको  आते   हैं।।


लगा शीश पर तिलक किलकता इठलाता है।

मुँह से कहता राम छिपा छुरियाँ  लाता  है।।

स्वयं   बने  भगवान  भस्म को   बँटवाते  हैं।

दुःखों   में भगवान याद तुमको  आते    हैं।।


बढ़ता  पातक -भार  राम बनते  अवतारी।

कभी कृष्ण, वाराह कभी वामन तन धारी।।

बचा  भक्त  प्रह्लाद  सिंह नर बन  जाते  हैं।

दुःखों  में  भगवान याद तुमको  आते  हैं।।


रे  मानव! मतिअन्ध समझता नहीं   इशारा।

कोरोना का अस्त्र फेंककर प्रभु ने   मारा।।

जब  पड़ती  है मार मनुज तब घबराते   हैं।

दुःखों में  भगवान  याद तुमको आते   हैं ।।


जैसा बोता बीज  वही फल तरु पर आता।

पक जाता फ़ल पूर्ण वपन कर्ता ही खाता।।

भरता   पातक - पिंड  फूटता बिलखाते  हैं।

दुःखों  में  भगवान याद तुमको  आते  हैं।।


किया अगर अपराध सजा तो पानी होगी।

'शुभम' न होगी क्षमा बनेगा इंसाँ   रोगी।

प्रभु से  नहीं  अदृष्ट  कृपा  प्रभु बरसाते हैं।

दुःखों में  भगवान  याद तुमको  आते हैं।।


🪴 शुभमस्तु !


१९.०४.२०२१◆२.३० पतनम मार्तण्डस्य।


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