विधान- १.चार चरण।
२.दो चरण सम तुकांत।
३. लघु गुरु की 16 आवृत्ति।
४.12 पर यति।
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
✍️ शब्दकार ©
🏕️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
कराल काल आ गया,
नहीं रही दया मया,
विकास जाल रूप है,
प्रणाम है मिलावटी।
अनीति नीति है बनी,
कुरीति रीति - सी तनी,
कुबंध नंग भूप है,
सुधार है बनावटी।
उगे यहाँ बबूल हैं,
समूल लोग शूल हैं,
न शेष आज कूप हैं,
विराटता कटी - मिटी।
सुभाषिणी न नारियाँ,
कुमार - सी कुमारियाँ,
विकार ईति व्यूप है,
कुधारणा सटी - सटी।।
🪴 शुभमस्तु !
१२.०४.२०२१◆ ६.३० पतनम मार्तण्डस्य।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें