सोमवार, 17 मार्च 2025

तुम क्या जानो पापा यार! [नवगीत]

 154/2025

  

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'



नए जमाने की बातों को

तुम क्या जानो पापा यार!


बीत गया अब वक्त पुराना

अब आया है नया जमाना

रहीं कहाँ वे बात पुरानी 

रहन-सहन भी पीना- खाना

बात  पुरानी  सब   बेकार

तुम क्या जानो पापा यार!


तुमने जितना दूध पिया है

पानी हमें नसीब नहीं

तुमने घी में माल उड़ाए

हमको छाछ करीब नहीं

जीना  किया हमें दुश्वार

तुम क्या जानो पापा यार!


बीस बरस के होते -होते

बन जाते थे  दो के बाप

बीत गए चालीस हमारे

छड़े घूमते   झेलें शाप

भले चलाते बाइक कार

तुम क्या जानो पापा यार!


तीस बरस में कमर हमारी

झुककर आज कमान हुई

साठे पर भी तुम पाठा थे

शक्ति हमारी कहाँ चुई

बढ़ी वक्त की अब रफ्तार

तुम क्या जानो पापा यार!


हम तो हैं गूगल के ज्ञानी

तुमने लिए जबानी सीख

बिना गणक के गुणा न होता

ए आई से माँगें  भीख

नए पुराने की है रार

तुम क्या जानो पापा यार!


शुभमस्तु !


15.03.2025●3.00प०मा०

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