सोमवार, 17 मार्च 2025

मोबाइल से खेलने [नवगीत]



\ 151/2025

        

© शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


आ रहे हैं संदेश रँगे

मोबाइल से खेलने।


हुड़दंग है होली का 

आप भी भागीदार हो

मिटा रहा हूँ बारंबार

आदत से लाचार हो

चुक गए क्या  शब्द रंग

आ  गए  हो ठेलने।


रेडीमेड माल का

जमाना ये नकली है

रिफाइंड घासलेट सब

एक नहीं असली है

भीतर भरे कचरे को

बाहर उंडेलने।


तुम्हारा काला अक्षर भी

भैंस के बराबर क्या?

भूल गए क ख ग

थोड़ी तो करो दया

मुश्किल बढ़ाई हमारी

हमें पड़ा झेलने।


शुभमस्तु !

13.03.2025●2.45प०मा०

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