सोमवार, 17 मार्च 2025

छटा के बहाने [सजल]

 159/2025

      

समांत        : अटा

पदांत         :  के बहाने

मात्राभार    :20

मात्रा पतन  :शून्य


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


सुबह  की  सुहानी   छटा  के बहाने।

जलद  जल  लिए हैं घटा के बहाने।।


यहाँ से  वहाँ  तक सघन छाँव फैली।

विटप  वट तना  है जटा  के बहाने।।


लजाई  हुई   है  वदन  को  छिपाए।

 गाँव की   गोरी  घुँघटा   के  बहाने।।


मिली आँख को  तृप्ति पल एक देखा।

गए  अंबु   पीने   कुअटा  के  बहाने।।


'शुभम्'   आज  चीवर  रँगे   घूमते हैं।

बजाते    हुए    चीमटा   के   बहाने।।


शुभमस्तु !


17.03.2025●3.00आ०मा०

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