137/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
ठौर वही है गंगाजल भी
क्या अब पापी नहीं तरेंगे?
गोता मारे गिन-गिन सौ-सौ
क्या गंगा वह बान रखेगी
साठ करोड़ तरे ले गोते
उनमें मेरा नाम लिखेगी
न्यायालय के द्वार बंद हैं
क्या हम लादे पाप मरेंगे?
इतना तो निश्चय ही जानो
बिजनिस उनका नहीं चलेगा
ठगी बंद होगी जनता से
कोई जन को नहीं छलेगा
राजनीति के छल -छद्मों से
अब भंडारे नहीं भरेंगे।
नहीं जानते 'शुभम्' मूढ़ तुम
भीड़भाड़ का मोल बड़ा है
राष्ट्र एकता इसको कहते
जन लुटने को स्वयं खड़ा है
कुंभ हो गए रिक्त देश के
अब न खाक से लाख बनेंगे।
शुभमस्तु !
04.03.2025● 12.15प०मा०
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[1:17 pm, 4/3/2025] DR BHAGWAT SWAROOP: 138/2025
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