गुरुवार, 27 मार्च 2025

अग-जग में [ सजल ]

 170/2025

              

समांत        : आई

पदांत         :अपदांत

मात्राभार    :16.

मात्रा पतन  :शून्य।


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


अग-जग में मधु ऋतु मनभाई।

बौरा     गई   हरित   अमराई।।


गेंदा    महक    रहा  क्यारी  में।

पाटल   ने    बगिया  महकाई।।


अलि दल  झूम  रहे  डाली पर।

तितली की छवि  परित: छाई।।


कुहू-  कुहू  कर  कोकिल कूके।

प्रोषितपतिका  चैन     न  पाई।।


मोर   बाग  में   नर्तित  मद   में।

पिड़कुलिया प्रभु महिमा   गाई।।


गाँव -गाँव  बजते  डफ   ढोलक।

लिए     मँजीरा     टोली  आई।।


होली गीत गा    रहे   मिल- जुल।

गेहूँ       चना      मटर  शुभताई।।


शुभमस्तु !


24.03.2025●6.00आ०मा०

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