170/2025
समांत : आई
पदांत :अपदांत
मात्राभार :16.
मात्रा पतन :शून्य।
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
अग-जग में मधु ऋतु मनभाई।
बौरा गई हरित अमराई।।
गेंदा महक रहा क्यारी में।
पाटल ने बगिया महकाई।।
अलि दल झूम रहे डाली पर।
तितली की छवि परित: छाई।।
कुहू- कुहू कर कोकिल कूके।
प्रोषितपतिका चैन न पाई।।
मोर बाग में नर्तित मद में।
पिड़कुलिया प्रभु महिमा गाई।।
गाँव -गाँव बजते डफ ढोलक।
लिए मँजीरा टोली आई।।
होली गीत गा रहे मिल- जुल।
गेहूँ चना मटर शुभताई।।
शुभमस्तु !
24.03.2025●6.00आ०मा०
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