मंगलवार, 4 मार्च 2025

लोग न झाँकें [सजल]

 132/2025

             


समांत        :इयाँ

पदांत         : अपदांत

मात्रा भार    :16.

मात्रा पतन  :शून्य


डाल -डाल  पर खिलतीं  कलियाँ।

लगें  मनोहर     मोहक   छवियाँ।।


मर्यादा     में      रहना       सीखें।

कहतीं    गंगा    यमुना    नदियाँ।।


लोग  न    झाँकें     ग्रीवा   अपनी।

खोज  रहे  औरों   में     कमियाँ।।


मीन -  मेख   करतीं   आपस  में।

जब मिलतीं  आपस  में जनियाँ।।


मिला  दूध  में   सरि   का  पानी।

जिसमें निकलीं  चार   मच्छियाँ।।


एक     अजूबा      हमने     देखा।

मौन  धरे  कुछ   बैठीं     सखियाँ।।


भर - भर    गाड़ी   आलोचक   हैं।

'शुभम्'  उड़ाते   नित्य   धज्जियाँ।।



शुभमस्तु !


03.03.2025●6.15आ०मा०

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