सोमवार, 31 मार्च 2025

सोए साँप जगाने का ही [नवगीत]

 185/2025

      

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


सोए साँप जगाने का ही

राजनीति है नाम।


सत्तासन से दूर खड़े हो

कौन तुम्हें पहचाने

सत्तासन पर अड़े हुए जो

उनको ही सब माने

आग लगाते रहो देश में

बचा देह का चाम।


राजनीति को जिंदा रखना

तुमको बहुत जरूरी

जो मन आए वही कहो तुम

जनता से रख दूरी

नहीं कभी था सेतुबंध वह

नहीं हुए प्रभु राम।


रक्त नहीं है आर्य पिता का

पता न जननी कौन

देश विरोधी वाणी बोलो

घावों पर   दो नौंन

राजनीति के चूल्हे सुलगा

तुम्हें कमाने दाम।


शुभमस्तु !


30.03.2025● 11.45आ०मा०

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