मंगलवार, 4 मार्च 2025

चैत्र [चौपाई]

 134/2025

                  

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


चैत्र   शुक्ल  की    पड़वा   आई।

ब्रह्मा जी  ने       सृष्टि    बनाई।।

चैत्र    मास    की   पूनम  भाई।

चित्रा  नखत  लगा    सुखदाई।।


हिंदू  प्रथम    मास    शुभकारी।

गाते     वेद     पुराण     पुरारी।।

वर्ष  प्रतिपदा का  दिन   आया।

 हिंदू      वर्षारंभ       सुभाया।।


चैत्र   मास  ऋतुओं   का  राजा।

कहलाए   मधुमास     सुसाजा।।

नवारम्भ     जो     करना   कोई।

शुभदाकारी  हर     तिथि   होई।।


राम जन्म दिन    शुभ    नवराते।

शुभकारी  सब     लोग   मनाते।।

फागुन       गया   चैत्र     हर्षाया।

हिल- मिल हिंदू  मास    मनाया।।


विष्णु   रूप     मत्स्य    अवतारे।

मनु जी के   सब    कष्ट   निवारे।।

जल  की प्रलय हुई   जब   भारी।

प्रथम  रूप ने     विपदा     टारी।।


जैसा   नाम     काम    मधुमासा।

चैत्र मास  तरु लता     विकासा।।

ऋतुओं  का    राजा  शुभ आया।

तरु लतिका  ने  साज   सजाया।।


वट पीपल   सब     हँसते  झूमें।

भँवरे    कलियों के  मुख   चूमें।।

चैत्र  मास   की    चारु    हवाएँ।

नवल सृजन के    द्वार  सजाएँ।।


शुभमस्तु !


03.03.2025●7.45आ०मा०

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