133/2025
डाल -डाल पर खिलतीं कलियाँ।
लगें मनोहर मोहक छवियाँ।।
मर्यादा में रहना सीखें,
कहतीं गंगा यमुना नदियाँ।
लोग न झाँकें ग्रीवा अपनी,
खोज रहे औरों में कमियाँ।
मीन - मेख करतीं आपस में,
जब मिलतीं आपस में जनियाँ।
मिला दूध में सरि का पानी,
जिसमें निकलीं चार मच्छियाँ।
एक अजूबा हमने देखा,
मौन धरे कुछ बैठीं सखियाँ।
भर - भर गाड़ी आलोचक हैं,
'शुभम्' उड़ाते नित्य धज्जियाँ।
शुभमस्तु !
03.03.2025●6.15आ०मा०
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