मंगलवार, 4 मार्च 2025

डाल-डाल पर [गीतिका]

 133/2025

               


डाल -डाल  पर खिलतीं  कलियाँ।

लगें  मनोहर     मोहक   छवियाँ।।


मर्यादा     में      रहना       सीखें,

कहतीं    गंगा    यमुना    नदियाँ।


लोग  न    झाँकें     ग्रीवा   अपनी,

खोज  रहे  औरों   में     कमियाँ।


मीन -  मेख   करतीं   आपस  में,

जब मिलतीं  आपस  में जनियाँ।


मिला  दूध  में   सरि   का  पानी,

जिसमें निकलीं  चार   मच्छियाँ।


एक     अजूबा      हमने     देखा,

मौन  धरे  कुछ   बैठीं     सखियाँ।


भर - भर    गाड़ी   आलोचक   हैं,

'शुभम्'  उड़ाते   नित्य   धज्जियाँ।



शुभमस्तु !


03.03.2025●6.15आ०मा०

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