गुरुवार, 27 मार्च 2025

खिल उठा ऋतुराज है [गीत]

 173/2025

        

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


लाल - लाल ओठों में

खिल उठा ऋतुराज है।


प्रेम- रंग साथ लिए

टेसू के फूल हैं

ओढ़ रखा वसन लाल

लग रहे दुकूल हैं

होली का रंग नया 

मिल उठा आज है।


लाल- लाल प्रेम रंग

कुदरत में खेलता

माँग में सिंदूर भरा

कौन नहीं झेलता

मुकुट धरा भाल लाल

हिल उठा  ताज है।


जागी नई चेतना

कामदेव की ध्वजा

यहाँ वहाँ उड़ रही

ज्यों वितान हो सजा

शरद शिशिर हेमंत ग्रीष्म 

 सर्व 'शुभम्' साज है।


शुभमस्तु!

25.03.2025●4.00आ०मा०

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