रविवार, 23 मार्च 2025

ठप्पा हमको मिल जाए [नवगीत]



168/2025

   


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


गिरे गगन से

ठप्पा हमको मिल जाए।


भ्रष्टाचार  मिलावट के

हम गुरू बड़े

अँधियारे में लिए

हाथ में दिये खड़े

बोएं एक न बीज

कमल दल खिल जाए।


फर्जी डिग्री बेच

बने  अधिपति ज्ञानी

अपनी ही उपाधि

अपने सिर पर तानी

पूँछ उठे जब ऊपर को

सब हिल जाए।


'विश्व गुरू' हम कहलाते 

कम बात नहीं

बस ठप्पे की बात 

बनाएँ वही सही

करनी पूछे कौन

भले तिल-तिल जाए।


सोने में पीतल है

धनिया लीद मिला

पानी में है दूध

 कहीं फिर भी न गिला

बड़े प्रेम से ज़हर

देश दावत खाए।


शुभमस्तु !


23.03.2025●9.45आ०मा०

                   ●●●

[11:05 am, 23/3/2025] DR  BHAGWAT SWAROOP: 

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