131/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
अपनी धुन में सभी मगन हैं क्या किसको कहना!
सबकी अपनी लगी लगन हैं क्या किसको कहना!!
सुनता नहीं किसी की कोई अपनी- अपनी गैल,
नाच रहा कोई छन -छन है क्या किसको कहना!
नेता कहता मैं सर्वोपरि मैं ही हूँ भगवान,
जनता से नित की अनबन है क्या किसको कहना!
कुंभ नहाया पाप धुले सब चमका चंदन भाल,
बड़ी बुद्धि का ये छुटपन है क्या किसको कहना!
पानी मिला छापता रोकड़ लीद मिला धनिया,
दूध धुलों का यह झुटपन है क्या किसको कहना!
धोखेबाजी की बिजनिस में मस्त रहें लाला,
हम्मामों में वही नगन है क्या किसको कहना!
'शुभम्' जगतगुरु देश हमारा सारा देश महान,
रहा सत्य से नित ठनगन है क्या किसको कहना!
शुभमस्तु!
01.03.2025●2.00प०मा०
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