सोमवार, 20 जनवरी 2025

राधा चलीं गैल वीथी [सर्वगामी या अग्र सवैया]

 002/2025

           

छंद विधान:

1.सर्वगामी सवैया में सात तगण [(221×7)+ 22] का प्रयोग होता है।

2.11,12 वर्ण पर यति होता है तथा प्रत्येक चरण में 23 वर्ण होते हैं।

                         -1-

माता -पिता को सताना नहीं,

          जो सताया न कोई ठिकाना रहेगा।

कोई नहीं यों तुम्हें मान देगा,

               न कोई तुम्हारा फसाना  सुनेगा।।

जो भी मिला है वही एक दाता,

               वही एक त्राता न बाना बनेगा।

भूखों मरोगे बिना आसरे के,

                न चूँ चूँ रहेगा न दाना मिलेगा।।


                         -2-

वादा किया तो निभाना पड़ेगा,

                  निभाए बिना चैन से क्यों रहोगे।

कैसे दिखाना तुम्हें झूठ चोला,

                     बिना पंख धारे धरा से उड़ोगे।।

सानी न होगा जहाँ में तुम्हारा,

                चलो आज मानो कहा जो करोगे।

भाषा तुम्हारी सदा साँच हो तो,

                  सदा लक्ष्य पाओ न जीते मरोगे।।


                         -3-

ताना न मारो न माता -पिता को,

                     उसी अंश के एक अंशी बने हो।

दावा जताते उन्हीं पालकों को,

                        तरेरे हुए आँख सीधे तने हो।।

शाखा वही है वही मूल तेरा,

                     गए टूट ज्यों ही रहो क्यों घने हो।

आशा नहीं लेश संतान से जो,

                      पिता और माँ से बने हो ठने हो।।


                         -4-

काबा न काशी बने हो सनासी,

                    उदासी मुनादी खुदा की कराते!

झंडा उठाए वितंडा सजाए,

                    सभी वे विनाशी जुदा जी कराते।।

दावा न वादा बुरा ही इरादा,

                       न मादा अमादा बुरा ही कराते।

आया न कोई सदा को जहाँ में,

                     बने ब्रह्मज्ञानी क़ज़ा ही कराते।।


                         -5-

राधा लजातीं सिहातीं सुहातीं,

                      चलीं गैल वीथी सु वंशी छुपाए।

कान्हा सजा फेंट आते रिझाते,

                       गए धाम छैला दुताली बजाए।।

शोभा कहाँ और कैसी सुहानी,

                  फबी जा रही है बिना ही जताए।

वामा चलीं साथ गोपी अनौखी,

                     पगों में झनाका झमाका सुनाए।।


शुभमस्तु !


01.01.2025●5.00प०मा०

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