बुधवार, 29 जनवरी 2025

मेढक-मेढकी संवाद [अतुकांतिका]

 043/2025

       


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


मेढकी बोली मेढक से :

'सुना है नहाना पुण्य है

मछली भी धन्य है

जिसे हर समय 

पानी में रहना 

और नहाना

अनुमन्य है।


'आदमी औरतों को

नहाते हुए देखा है,

वे  घर पर ही नहीं

 पवित्र नदियों में

गोते लगाते हैं,

और अपने पापों को

घटाते हैं,

कुछ लोग तो

पूर्णिमा अमावस्या

एकादशी नहाते हैं,

और पापों के बोझ को

जल में बहाते हैं।


'चलो हम भी

गङ्गा -स्नान को चलें,

अपने अघ -ओघ को

हटाते मिटाते रहें,

बहुत कुछ 

आदमियों की तरह,

कुम्भ भी चल रहा है

आदमी जाने को

मचल रहा है,

करोड़ों की भीड़ है,

बड़ा स्नान है,

पर्व महान है,

चलो हम भी

पाप धो आते हैं,

और पुण्य कमा लाते हैं।


मेढक बोला :

'चल भागवान

तू कहती है तो

सच ही होगा,

हम नदी की सवारी से

प्रयागराज में

पुण्य कमा आते हैं,

क्योंकि नहाना पुण्य है

कि…

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