सोमवार, 20 जनवरी 2025

भाड़ न फोड़े एक चना [ सजल ]

 009/2025

       

समांत        :अना

पदांत         : है

मात्राभार    :16

मात्रा पतन  : शून्य।


शब्दकार© 

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


मानव     इतना    आज   तना   है।

अहंकार    का     धूम     घना   है।।


समझे  नहीं   किसी   को   अपना।

तमस   पंक  में   निपट  सना   है।।


धन - संपति  के  रिश्ते    हैं    सब।

मानवता   के     लिए    मना    है।।


बालाओं  को    पति    पसंद   वह।

पैसों     से    जो    बना -  ठना है।।


चरित  घास    घूरे     पर     चरता।

भ्रष्ट   आचरण   का   जपना    है।।


नर    नहला   तो     दहला   नारी।

संस्कृतियों  को    यों   मिटना   है।।


'शुभम्'  गर्त  में  मानव  प्रति क्षण।

भाड़    न    फोड़े   एक  चना   है।।


शुभमस्तु !


12.01.2025●10.00प०मा०

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