गुरुवार, 30 जनवरी 2025

धर्म में सियासत [अतुकांतिका]

 055/2025

             


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


सुराग पाकर

 घुस आती है

सियासत धर्म में

कहीं भी उसे

अच्छाई दिखाई

 नहीं देती।


विरोध करना ही 

उद्देश्य हो जिनका

उनके लिए 

सब बुरा ही बुरा है।


छोटे-छोटे छेदों में

अँगुलियाँ तानना

जिनका नित्य कर्म है

उनकी आँखों में

न हया है

न कोई धर्म है।


अपने ही भविष्य के

दुश्मन हैं जो

उनसे उम्मीद भी क्या ?

उन्हें देश हित नहीं

कुर्सी दिखाई देती है।


आओ वह कुत्सित

सियासत पहचानें

और अपने पैरों में

आप ही कुल्हाड़ी न मारें,

धूर्त सियासतियों को 

धिक्कारें दुत्कारें।


शुभमस्तु !


30.01.2025●8.00प०मा०

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