बुधवार, 29 जनवरी 2025

कुनकुन मौसम धूप का [दोहा]

 051/2025

    

[मौसम,बदलाव,कुनकुन,सूरज,धूप]


 ©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


               सब में एक

मन  के  मौसम में  सदा, परिवर्तन  का   दौर।

चलता रहता रात-दिन, भर सुख-दुख के तौर।।

शिशिर  विदा  शुभ आगमन, होता राव वसंत।

मौसम  मंजु  मयंक -सा,बिखरा हर्ष  अनंत।।


ऋतुओं   में  बदलाव  से,  नित नवीन  संचार।

होते  हैं  क्षण-क्षण  सदा, दिनकर का आभार।।

जीवन  में  बदलाव के, सुख-दुख  हैं  सोपान।

धूप-छाँव  बदली  कभी,  सर्द -गर्म का    मान।


कुनकुन तेरे  बोल का, सुखद सौम्य आभास।

मन  मेरा  करने  लगा, भरता    हुआ  उजास।।

कुनकुन जल ही पीजिए,जब हो शीत सकाल।

भोजन  के  उपरांत   भी,  लेना  नहीं   उबाल।।


सूरज     से  संसार  में,   ऋतुओं  का    संचार।

होता  बारह  मास  में,  धर   दो-दो का     भार।।

सूरज  से  सब  सृष्टि  है,  सूरज जीवन    मूल।

दिवस- निशा  के   दान  से, जग जीवन में हूल।।


धूप - छाँव  का नित्य  ही, चलता  सुमधुर  मेल।

सूरज  के   संचार    का, अद्भुत अवसर    खेल।।

धूप    कुनकुनी  लीजिए,जब हो शीत    प्रसार।

सुखद  रहे  तन को  सदा,  दिनकर का  उपहार।।


                एक में सब

कुनकुन मौसम धूप का,क्षण -क्षण में बदलाव।

करते   सूरज   देवता,  उनका यही      स्वभाव।।


शुभमस्तु !


29.01.2025●5.30आ०मा०

                   ●●●

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...