शुक्रवार, 24 जनवरी 2025

कान को सीधे न पकड़ो [ नवगीत ]


        


©शब्दकार

डॉ०भगवत स्वरूप 'शुभम्'


कान को सीधे न पकड़ो

ये गलत है।


जा रहे जो लोग पूरब

रुद्ध बोलें

हाथ ले अपनी तराजू

देश तोलें

नेह को यों तुम न जकड़ो

ये गलत है।


आदमी सोया हुआ है

मत जगाना

राह जो भटका हुआ है

मत बताना

नाक के सँग माथ रगड़ो

ये गलत है।


जज अदालत की जरूरत

अब नहीं है

पुलिस थाने की मशक्कत

व्यर्थ ही है

तांत्रिकों को सौंप दो सब

ये गलत है।


देश को नागा अघोरी ही

ही चलाएँ

सैनिकों की क्या जरूरत

जो बचाएँ

शत्रु से वे   खूब   अकड़ें

ये गलत है।


शुभमस्तु !


23.01.2025●11.00आ०मा०

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[1:15 pm, 23/1/2025] DR  BHAGWAT SWAROOP: 

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