बुधवार, 29 जनवरी 2025

जाना कुंभ प्रयाग में [ गीतिका ]

 045/2025

           

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


आया  बारह  वर्ष   में,शुभ अवसर हे   यार।

जाना  कुंभ  प्रयाग में, खुलें  पुण्य के द्वार।।


वर्षों   से घट में  भरा,  अघ  ओघों का बोझ,

हलका    करें   नहान   से , हो  जाए  उद्धार।


दूध  और  पानी  मिला, नित्य कमाए 'पुण्य',

पय -दोहन में  जल  भरे,बढ़े भैंस पय -धार।


सुना   नहाने  से  घटें,  तन-मन  के सब पाप,

कर   ले  शीघ्र  नहान तू, हो जाए भव  पार।


मछली-मेढक   नित्य  ही, करते नदी  नहान,

महिमा  जान   नहान  की,गोता लगें हजार।


संत  न  छोड़ें   संतई,  छोड़ें  अघ  न  असंत,

ट्रेन-बसों    में  भीड़  है, नर जीवन का  सार।


मान    कसौटी  में  लिया,बहे त्रिवेणी   नित्य,

'शुभम्' नहा  संगम  करे, सभी सात शुभ वार।


शुभमस्तु !


27.01.2025●5.00आ०मा०

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