बुधवार, 29 जनवरी 2025

सन्ततियाँ हम सभी तुम्हारी [ गीत ]

 050/2025

  


© शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


संततियाँ   हम   सभी   तुम्हारी

तुमसे   ही   पालित  पोषित हैं।


दंशक   पिता  दंशकी   माता

रक्त   तुम्हारा  ही   हम   पीते

बहता   है    हर  नस-नस  में

उसी   रक्त   से  जीवन  जीते

कहती   है   ये   दुनिया  सारी 

हम शोषक मानव शोषित  हैं।


सही  अर्थ में  फसल   हमारी

नर - नारी   का   रक्त लाल है

चुपके  से  छिपकर  आ  पीते

खुजलाते  तुम खूब खाल  है 

सब गुणसूत्र तुम्हारे   तन   में

पहले से ही सब   घोषित  हैं।


नफरत इतनी करो न  हमसे

जीवन भर का  साथ  हमारा

'ऑल आउट' से हमें न मारो

नहीं जहर  का  दे   फुव्वारा

नाली -  नाले   से  मत  तारो

'शुभम्' दंशकी - दंशक  सारे

हर नर -  नारी   से  रोषित हैं।


शुभमस्तु !


28.01.2025●8.30प०मा०

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