330/2023
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● © शब्दकार
● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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एक गधे ने बदला नाम।
कहता मुझको करो सलाम।।
सब मुझको अब कहना 'शेर'।
सुधरो करो न किंचित देर।।
बदलो मुख में जमा कलाम।
एक गधे ने बदला नाम।।
जंगल का मैं राजा एक।
काम करूँगा सब मैं नेक।।
मैं ही रावण मैं ही राम।
एक गधे ने बदला नाम।।
गधा कहेगा जो भी मित्र।
होगा उसका बुरा चरित्र।।
चाहेगा करना बदनाम।
एक गधे ने बदला नाम।।
बदल जायँगे अब पर्याय।
कहना खोता है अन्याय।।
गर्दभ के भी करूँ न काम।
एक गधे ने बदला नाम।।
एक बनाएँ मेरी माँद।
वहीं सुनूँगा हर फ़रियाद।।
नहीं घूमने का हो झाम।
एक गधे ने बदला नाम।।
'शुभम्' सभी पशु आएँ पास।
सबको देता हूँ विश्वास।।
प्रातः से लेकर हर शाम।
एक गधे ने बदला नाम।।
●शुभमस्तु !
01.08.2023◆11.30आ०मा०
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