बुधवार, 23 अगस्त 2023

मामा के घर 'विक्रम' आया● [ बालगीत ]

 371/2023

 

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● ©शब्दकार

● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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मामा  के  घर 'विक्रम' आया।

राखी  लेकर   मुझे   पठाया।।


चंद्रयान  - थ्री  पहुँचा  ऊपर।

रुका नहीं वह नीचे   भू पर।।

भू - माँ   का    संदेशा लाया।

मामा के घर 'विक्रम' आया।।


माँ ने  तुमको  राखी   भेजी।

बहुत दिनों  से  रखी सहेजी।।

दक्षिण  तम   कोने  में पाया।

मामा के घर 'विक्रम' आया।।


तिथि  तेईस  अगस्त  महीना।

दिन बुध का शुभ चौड़ा सीना।

भारत का ध्वज ला फहराया।

मामा के  घर 'विक्रम' आया।।


चला जुलाई  चौदह  को   मैं।

मामा का घर क्यों  भूलूँ   मैं!!

धीरे - धीरे    कदम    बढ़ाया।

मामा के घर 'विक्रम' आया।।


चन्दा   मामा   सैर  करा  दो।

कैसे  हो तुम राज   बता दो।।

यही  पूछने   को   मैं   धाया।

मामा के घर 'विक्रम' आया।।


नीचे से  दिखते   तुम  सुंदर।

बुरा न मानो लगे  कलन्दर।।

कैसा   तुमने  रूप   बनाया?

मामा के घर 'विक्रम'आया।।


नारी के मुखड़े   की  उपमा।

देते ,लगती   झूठी   सुषमा।।

नहीं एक में   मिलती  छाया।

मामा के घर 'विक्रम' आया।।


'शुभम्'अकेले रहते  हो क्यों?

दुःख न अपने कहते हो क्यों?

जानूँगा    में    सारी     माया।

मामा के घर 'विक्रम' आया।।


●शुभमस्तु !


23.08.2023◆7.45प०मा०

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