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●© शब्दकार
● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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हिंदी , शिक्षक के दिन आए।
दोनों बहुत - बहुत सहमाए।।
हिंदी को अति प्यारी बिंदी।
शिक्षक ढूँढ़ रहे हैं चिंदी।।
शिक्षक दिवस पाँच को होता।
शिक्षक स्वयं लगाए गोता।।
चौदह की तिथि मास सितंबर।
नौ दिन का दोनों में अंतर।।
कहें मास्टर हर घर वाले।
पैसे दे ट्यूशन के पाले।।
मान न कोई पीछे देता।
मिलने पर पदरज ले लेता।।
अंग्रेजी को मानें अम्मा।
कहते हिंदी पढ़े निकम्मा।।
हिंदी में ही रोते - गाते।
सोचें मन में ठंडे - ताते।।
आजीवन हिंदी कब आए?
अंग्रेज़ी से लाड़ लड़ाए।।
हिंदी, शिक्षक के ये दुर्दिन।
काट रहे वे दिन भी गिन-गिन।।
जिसने शिक्षक को ठुकराया।
हिंदी माँ को रुदन कराया।।
'शुभम्' उसे भी पड़ता रोना।
आँसू भर- भर मुख को धोना।।
●शुभमस्तु !
31.08.2023◆4.15 प०मा०
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