बुधवार, 30 अगस्त 2023

पढ़ने जाते छात्र ● [ गीत ]

 383/2023

 

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●©शब्दकार

● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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खेल रहे जो

नित खतरों से

पढ़ने जाते छात्र।


बहे सड़क पर

गदला पानी

फिर भी जाते पढ़ने।

ऊँचा कर वे

वेश देह के

लिपि ललाट की गढ़ने।।


बनने को सब

मातृभूमि के 

योग्य मनीषी पात्र।


आँधी वर्षा 

बाढ़ प्रभंजन

कभी न रुकती राहें।

लौट साँझ को

जब घर आते

भरती माँ निज बाँहें।।


देखा भीगा

बस्ता कपड़े

तर पानी से गात्र।


किसको दें हम

दोष व्यवस्था 

ऐसी बुरी हमारी।

चलने को भी

सड़क नहीं है

कुदशा ये सरकारी।।


दोषारोपण 

करें परस्पर 

खुद बचने को मात्र।


नौनिहाल ये 

अपने सारे

रहें खोद क्या माँद?

कहते हो  तुम

पीठ ठोंक निज

पहुँचे हैं हम चाँद।।


चाँद नहीं जब

अपनी बचती

शुभ कैसे नवरात्र?


● शुभमस्तु !


29.08.2023●10.30आ०मा०

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