शनिवार, 12 अगस्त 2023

बड़ा करे तो नीति है!● [ दोहा गीतिका]

 350/2023


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● ©शब्दकार 

● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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सुनें  दाहिने  कान से ,निकले बाएँ   कान।

मनमानी  में  मस्त वे, रहते अपनी  तान।।


मतलब की सुनते सभी, बैठ भागवत बीच,

चर्चा  चूल्हे   की  चले,आलू- कथा   पुरान।


सुनिए सबकी बात को,करिए मन  के  काम,

बिना शुल्क के ज्ञान को,मिले न जग में मान।


माँगे बिना  सलाह  के,  बहु उपदेशक  भीड़,

गली - गली में  बाँटती, ज्यों प्रसाद  का  दान।


छोटा  करे  अनीति है, बड़ा करे  तो   नीति,

क्यों समर्थ को दोष दें, वह ज्ञानी  गुणवान।


सीधे -  सीधे   कट  रहे,टेढ़ा कटे    न    एक,

मानो मत  जा  देख  लो,वन में  वृक्ष - कटान।


नारों   से  ही  देश  की, चलती   है   सरकार,

करते  हैं  कुछ  और ही, कूटनीति  को  जान।


चमचे  पिछलग्गू  बने,  चाट रहे     हैं   खीर,

सच बोले जो बात को,रहे न नाक   न  कान।


'शुभम्' उसी की भैंस है,लाठी जिसके हाथ,

लाल टमाटर गा रहे,जनगण धन का  गान।


●शुभमस्तु !


12.08.2023◆2.45पतनम मार्तण्डस्य।


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