बुधवार, 23 अगस्त 2023

मत के भूखे -प्यासे नेता !● [ गीतिका ]

 367/202

    

●●●●●●●●●●●●●●●◆●●●●

● ©शब्दकार

● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●

नागों   के   मन    काले    क्यों  हैं?

वाणी  पर   ये   भाले     क्यों  हैं ??


भिन्  -  भिन्   कर   भिनगे भन्नाते,

लिए   साथ   में     जाले   क्यों  हैं?


होते       देव      पूजती    दुनिया,

बुरी    नीति    के    घाले  क्यों  हैं?


माले -  मुफ़्त     बेरहम   दिल  है,

नेताओं    ने     पाले      क्यों   हैं?


मत      के      भूखे  - प्यासे  नेता,

कुर्सी    के   पग    छाले   क्यों  हैं?


गीदड़    की   हो   मौत  निकट   ही,

दिखते    नहीं     उजाले   क्यों    हैं?


'शुभम्'  भागता    वन    तज गीदड़ ,

उसे   प्राण    के    लाले    क्यों   हैं?


● शुभमस्तु !


20.08.2023◆10.45 प०मा०

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...