शुक्रवार, 18 अगस्त 2023

मुझे गर्व इस देश पर ● [ दोहा ]

 358/2023


[अजादी, उत्कर्ष,लोकतंत्र,भारत, तिरंगा]

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● © शब्दकार

● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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              ● सब में एक  ●

आजादी जब  से मिली, लोग हुए स्वच्छ्न्द।

मनमानी   करने   लगे, मना रहे    आनंद।।

आजादी  का  अर्थ  है, करें नियम से काम।

बंधन  में  रहना नहीं, बना देश  सुख धाम।।


परिश्रम करने से सदा, मिलता  है उत्कर्ष ।

आती   है   समृद्धता, उर में आता   हर्ष।।

गिरि पर जो उत्कर्ष के,चढ़ता है नर एक।

प्रेरक वह सबके लिए,जाग्रत करे विवेक।।


लोकतंत्र के  नाम  से, मची देश  में  लूट।

भ्रष्टाचारी   पाँव  से,  खांड़ रहे   हैं   कूट।।

लोकतंत्र-  रक्षक बनें, करके आत्मसुधार।

श्रेष्ठ  नागरिक  हैं  वही, करते पूर्वविचार।।


मुझे गर्व उस देश पर,जिसका भारत  नाम।

सदा विश्वगुरु  वह रहा, जन्म लिया  श्रीराम।।

भारत में   बहती  रहीं, गंगा,  यमुना -  धार।

ब्रह्मपुत्र,  सरयू  सभी ,  मानो सरि  अवतार।।


फहराता  अंबर   तले, शुभद तिरंगा   मीत।

जनगण मन नित गा रहा, गौरव के प्रिय गीत।

राष्ट्र - तिरंगा के लिए,होम गए निज  प्राण।

धन्य वीर बलिदान को,करते भारत- त्राण।।


             ●  एक में सब  ●

लोकतंत्र भारत बड़ा,जन -जन का उत्कर्ष।

'शुभम्' तिरंगा से मिला, आजादी का हर्ष।।


●शुभमस्तु !


16.08.2023◆2.00आ०मा०

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