365/2023
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●©शब्दकार
● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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-1-
मातु शारदा महान, देति नित्य वरदान,
हरण करें अज्ञान, शब्द-ज्ञान दे रही।
मूक गाइ रहे गीत,जीभ भई है सतीत,
रहें मानुस अभीत,सत्य बात है कही।।
सूर कवि कालिदास,'शुभम्' द्वार माँ-दास,
करे जीभ पै निवास, वीणा वादिनी वही।
नित्य साधना में लीन,करें काव्य में प्रवीन
भाव आते हैं नवीन, रस-धार है बही।।
-2-
आई हरियाली तीज,सखि मेंहदी तो पीस,
जाए साजन पसीज, सावनी बहार है।
गौरी करे तप ध्यान,आए शंकर महान,
दिया दिव्य वरदान,दारा तू स्वीकार है।।
शिव - शक्ति सम्मिलन,काल खंड का कलन,
झरे नेह के सुमन, मालती फुहार है।
गौरी रहीं ध्यान लीन,रहीं श्वेत पुष्प बीन,
मौन नांदिया नवीन, शम्भु समुदार है।।
-3-
रहे ज्ञान का प्रकाश,कालकूट तम नाश,
वृद्धि नित्य दीप्ति आश,देश ये महान हो।
शम्भु के अशेष शेष, नष्ट करें ये कलेश,
चाल बदलें ये मेष, प्राप्त वरदान हो।
नष्ट करें सर्व पाप, रहे एक नहीं ताप,
बढ़े भक्ति का प्रताप,ज्ञान का बखान हो।
कर्मशील नर-नारि, निज योनि लें सँवारि,
भवनिधि से सुतारि,सत्यता प्रमाण हो।।
-4-
नीर देव हैं महान, देते पावस का दान,
मेघ रूपी वरदान, हरे वृक्ष डालियाँ।
नारि - नर हैं प्रसन्न, खेत उपजाएँ अन्न,
भरें शुभ्र धन- धान्य,बज रहीं तालियाँ।।
नित्य दादुर का गान,रहा टेक एक ठान,
गूँज भरी नेक कान, नाचें नाच वालियाँ।
आया परदेशी द्वार,मिले साजन का प्यार,
हर्ष लीन परिवार, प्रीति पगी गालियाँ।।
-5-
मात -पिता वे महान ,दत्त पुत्र अभिधान,
देश कहे वरदान , 'शुभं' सत्य मानता।
बाबा- दादी का सुपौत्र,पाया पथरिया गोत्र,
हर्ष पूर्ण गृह -श्रोत्र, इतना ही जानता।।
छोटा अच्छा एक गाँव,निम्ब तरुओं की छाँव,
रहा आगरा में ठाँव, शांति सुख छानता।
आ बसा सिरसागंज,लेश मात्र नहीं रंज,
कर्मभूमि ये प्रखंड, शब्द काव्य भानता।।
●शुभमस्तु !
19.08.2023◆1.30 प०मा०
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