342/2023
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● ©शब्दकार
● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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अंबर में जाती बारात।
यहाँ - वहाँ छाती बारात।।
बजते घड़- घड़ काले मेघ,
पास नहीं आती बारात।
दूल्हा कौन दुल्हनिया कौन,
किस मंडप जाती बारात।
छायाकार खींचता चित्र,
चकाचौंध ढाती बारात।
आतिशबाजी धूम - धड़ाक,
बैंड लिए माती बारात।
लगता जीम रही ज्यौनार,
नीर गिरा खाती बारात।
देखो ये बाराती - भीड़,
दादुर से गाती बारात।
वीर बहूटी लाल - गुलाल,
'शुभम्' नहा जाती बारात।।
●शुभमस्तु !
08.08.2023◆12.15प०मा०
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