मंगलवार, 8 अगस्त 2023

माँग रहे थे पहले पानी ● [ बाल गीतिका ]

 343/2023

 

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● ©शब्दकार 

● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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माँग   रहे  थे    पहले   पानी।

कहते अब क्यों बरसा पानी।।


हाय ! मरे हम प्यासे! प्यासे!!

लाओ बदरा   हमको   पानी।


झेल  न पाए    कृपा   इंद्र की,

ज्यों  ही  बरसा दो दिन पानी।


सभी तृप्त हैं मनुज ,ढोर ,तरु,

इतना मत   बरसाओ   पानी।


धरती ,ताल, बाग ,वन   डूबे,

यहाँ - वहाँ बस पानी- पानी।


नदियों में   अति बाढ़ भयंकर,

निशिदिन बहे   पनारे   पानी।


उधर  सर्प   बाहर   उठ भागे,

गया  बिलों  में  भारी   पानी।


भीगे  पंख  काग कोकिल के,

गौरैया  की  चाह   न   पानी।


अंकुर   'शुभम्' उगे  हरियाले,

लता-कुंज   में  घुटनों   पानी।


●शुभमस्तु !


08.08.2023◆1.15प०मा०

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