शनिवार, 26 अगस्त 2023

ज्ञान -विज्ञान जयते ● [ अतुकान्तिका ]

 375/2023

 

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●© शब्दकार

● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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भू माँ - सुत 

 रोवर 'प्रज्ञान'

भ्रात लैंडर 'विक्रम' के

अंकासीन चला 

यात्रा पर

चन्द्रयान - त्रय पर

सवार हो,

रक्षा - सूत्र बाँधने,

सफलता पाई उसने।


चंद्रांगन में

धीरे -धीरे 

उतर गया वह

कदम बढ़ाकर,

मामा के घर

जा पहुँचा निर्भय।


मामा चाँद

बहुत हर्षित है

देख  भांजा -

द्वय को पाया,

आलिंगन में शीघ्र उठाया

भगिनि धरा का

संदेशा लाया,

सब कुछ पाया।


'ला दे 

मेरी बड़ी बहिन ने

क्या कुछ भेजा?

रखा सहेजा,

एक तिरंगा

जल सरि गंगा,

कर्म ही पूजा।'


जुलाई चौदह

नव अभ्युदय,

सावन की सप्तमी

अगस्त तेईस 

करता अंत्योदय,

समझ न अभिनय,

श्रमेव जयते

सत्यमेव जयते

ज्ञान -विज्ञान जयते।


●शुभमस्तु !


25.08.2023◆ 5.15 आ०मा०


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