361/2023
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● ©शब्दकार
● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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मुख पर है
मुस्कान गुलाबी
आँखों में है चोर।
शहद टपकता
लाल जीभ से
उर में काला रंग।
अवसर की है
सघन प्रतीक्षा
करना है रस -भंग।।
दिल की धड़कन
बता रही चुप
भीतर -भीतर शोर।
काले दिल के
लोग दुग्धवत
धर कर तन पर वेश।
तिलक छाप
माला डाले कुछ
बढ़ा सुगंधित केश।।
बैठ तखत
उपदेश सुनाते
मन में काम -हिलोर।
रँगिया बाबा
कान फूँकता
होगा पुत्र जरूर।
खुश करने की
शर्त हमारी
जन्नत की तू हूर।।
कहना नहीं
किसी से कुछ भी
हिले न अक्षर -कोर।
●शुभमस्तु !
17.08.2023 ◆2.00आ०मा०
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