369/2023
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● ©शब्दकार
● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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आज भारत चाँद पर है।
उधर जंबुक माँद पर है।।
यान बढ़ता जा रहा है,
देश ये उन्माद पर है।
रूस, अमरीका व चीनी,
जा चुका उस खाँद पर है।
ओज गौरव से भरे हम,
गूँजता शुभ नाद पर है।
पूर्णिमा हर दूज उससे ,
देश ऊँची फाँद पर है।
ज्ञान के नव स्रोत खुलते,
भारती सत शाद पर है।
अब नहीं जीना 'शुभम्' यों,
मात्र वन के काँद पर है।
२३.०८.२०२३ , ११.४५ प.मा.
● शुभमस्तु !
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