शुक्रवार, 18 अगस्त 2023

भारत माँ का रक्षक● [ गीत ]

 357/2023

 

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●© शब्दकार 

● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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उच्च हिमालय

सजग खड़ा है

भारत माँ का रक्षक।


हम सब संतति

तेरी माता 

तेरे ही गुण गाएँ।

जाग भोर में

तव चरणों में

अपना शीश झुकाएँ।।


निशि-दिन तेरे

प्रहरी बनकर

सैनिक मारें तक्षक।


दक्षिण में निधि 

चरण पखारे 

पावन तेरे माते!

उदित पूर्व में 

होते दिनकर

पश्चिम में छिप जाते।।


जनगण में अब

स्वतंत्रता  का

फहरे ध्वज नित निधड़क।


नहीं दासता

अब गोरों की

याद हमें बलिदानी।

श्रद्धा - सुमन

चढ़ा स्मृति को

समझें इसके मानी।।


मार सपोले

जहर उगलते

आस्तीन में भक्षक।


हम सपूत बन

काम तुम्हारी

रक्षा में आ जाएँ।

सुख समृद्धि

भारत में भर 

माँ को शुभता लाएँ।।


जो भी हमको

आँख दिखाए

बनें अंत के कारक।


जय हो तेरी

 भारत माता

गंग जमुन की धारा।

बहे रहे यों

धराधाम में

नित अहिवात तुम्हारा।।


हम संतति सब

'शुभम्' देख नित

हम पालित तू पालक।


● शुभमस्तु !


15.08.2023 ◆3.45 आरोहणम् मार्तण्डस्य।

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